DONATION TO SHRI RAM MANDIR , AYODHYA
Contributing to a Dream: Donating to the Shri Ram Mandir, Ayodhya
The grand silhouette of the Shri Ram Mandir rising above Ayodhya is not just a monument of stone and mortar; it’s a tangible manifestation of faith, a dream taking shape, brick by brick, rupee by rupee. For millions of Hindus across the globe, contributing to this sacred project is not just an act of charity, but a way to connect with their heritage, participate in history, and leave a lasting legacy.
Why Donate To Ram Mandir Ayodhya?
Beyond the obvious contribution to the construction itself, donating to the Ram Mandir holds several deeper meanings:
- Dharma: In Hindu philosophy, dharma dictates fulfilling one’s duty. Contributing to the Ram Mandir is seen as fulfilling a spiritual duty, a way to give back to a faith that has nurtured generations.
- Seva: Serving the divine is considered a noble pursuit. By donating, individuals become sevakas, servants of Lord Rama, participating in the creation of a space dedicated to his worship.
- Sankalp: Donating embodies the spirit of sankalp, a strong resolve. Contributing to the Ram Mandir becomes a tangible expression of one’s faith and commitment to seeing the project through to completion.
- Legacy: Becoming a part of such a monumental project ensures your name is etched in the annals of history. Generations to come will remember those who contributed to this historic revival.
Making a Contribution:
The Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust, responsible for the Ram Mandir construction, offers various ways to donate, catering to different financial abilities and preferences:
- Online Donations: The simplest and most convenient way, online donations can be made through the official website using debit/credit cards, net banking, UPI, or digital wallets.
- Offline Donations: Donations can be made through cash or cheque at designated collection centers across India. Receipts and tax exemption certificates are provided.
- Gold and Precious Metals Donations: Devotees can also donate gold, silver, or other precious metals. The trust melting and using these for the construction.
- Seva Offerings: For those who wish to contribute beyond monetary means, the trust offers seva opportunities like volunteering at construction sites, participating in events, or spreading awareness about the project.
Transparency and Trust:
The Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust emphasizes transparency in its financial dealings. Regular audits are conducted, and detailed updates on the construction progress and utilization of funds are publicly available. This ensures that every donation, big or small, makes a genuine difference.
More than Bricks and Mortar:
Donating to the Ram Mandir is more than just a financial act; it’s a way to express devotion, participate in a historic endeavor, and leave a lasting legacy. It’s an opportunity to be a part of something bigger than oneself, to contribute to the revival of a sacred space, and to become a silent architect of a dream taking shape.
So, if you find yourself resonating with the call to contribute, know that your offering, however small, will find its place in the grand mosaic of the Ram Mandir. You’ll become a part of something truly profound, leaving your mark on a monument that will stand for generations to come, a testament to faith, devotion, and the enduring power of the human spirit.
श्री राम मंदिर, अयोध्या को दान: एक सपने में योगदान
अयोध्या के ऊपर उभरता श्री राम मंदिर का भव्य सिल्हूट सिर्फ पत्थर और मोर्टार का स्मारक नहीं है; यह आस्था का एक मूर्त रूप है, एक सपना जो आकार ले रहा है, ईंट दर ईंट, रुपया दर रुपया। दुनिया भर के लाखों हिंदुओं के लिए, इस पवित्र परियोजना में योगदान सिर्फ दान का कार्य नहीं है, बल्कि अपनी विरासत से जुड़ने, इतिहास में भाग लेने और एक स्थायी विरासत छोड़ने का एक मार्ग है।
क्यों दान करें?
निर्माण में प्रत्यक्ष योगदान से परे, राम मंदिर को दान देने के कई गहरे अर्थ हैं:
- धर्म: हिंदू दर्शन में धर्म व्यक्ति के कर्तव्य को पूरा करने को निर्देशित करता है। राम मंदिर में योगदान को एक आध्यात्मिक कर्तव्य को पूरा करने के रूप में देखा जाता है, एक ऐसे धर्म को वापस देने का तरीका जिसने पीढ़ियों का पोषण किया है।
- सेवा: दिव्य की सेवा को एक महान कार्य माना जाता है। दान करके, व्यक्ति सेवक बन जाते हैं, भगवान राम के सेवक, उनकी पूजा के लिए समर्पित एक स्थान के निर्माण में भाग लेते हैं।
- संकल्प: दान करना संकल्प की भावना का प्रतीक है, एक दृढ़ संकल्प। राम मंदिर में योगदान करना किसी की आस्था और परियोजना को पूरा करने के प्रति प्रतिबद्धता की एक मूर्त अभिव्यक्ति बन जाता है।
- विरासत: इतनी स्मारकीय परियोजना का हिस्सा बनना यह सुनिश्चित करता है कि आपका नाम इतिहास के इतिहास में अंकित हो। आने वाली पीढ़ियां उन लोगों को याद रखेंगी जिन्होंने इस ऐतिहासिक पुनरुद्धार में योगदान दिया था।
योगदान कैसे दें?
राम मंदिर निर्माण के लिए जिम्मेदार श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट विभिन्न प्रकार के दान की पेशकश करता है, जो विभिन्न वित्तीय क्षमताओं और प्राथमिकताओं को पूरा करता है:
- ऑनलाइन दान: सबसे सरल और सुविधाजनक तरीका, ऑनलाइन दान आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से डेबिट/क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग, यूपीआई या डिजिटल वॉलेट का उपयोग करके किया जा सकता है।
- ऑफलाइन दान: भारत भर में निर्दिष्ट संग्रह केंद्रों पर नकदी या चेक के माध्यम से दान किया जा सकता है। रसीदें और कर छूट प्रमाण पत्र प्रदान किए जाते हैं।
- सोने और कीमती धातुओं का दान: भक्त सोना, चांदी या अन्य कीमती धातुओं का भी दान कर सकते हैं। ट्रस्ट इन्हें पिघलाकर निर्माण में उपयोग करता है।
- सेवा प्रसाद: जो लोग मौद्रिक साधनों से परे योगदान करना चाहते हैं, ट्रस्ट निर्माण स्थलों पर स्वेच्छाचार, कार्यक्रमों में भाग लेने या परियोजना के बारे में जागरूकता फैलाने जैसे सेवा के अवसर प्रदान करता है।
पारदर्शिता और विश्वास:
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अपने वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता पर जोर देता है। नियमित रूप से ऑडिट किए जाते हैं, और निर्माण प्रगति और धन के उपयोग पर विस्तृत अपडेट सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं। यह सुनिश्चित करता है कि हर दान, चाहे वह बड़ा हो या छोटा, एक वास्तविक अंतर बनाता है।
ईंटों और मोर्टार से भी ज्यादा:
राम मंदिर को दान देना सिर्फ एक वित्तीय कार्य से अधिक है; यह भक्ति को व्यक्त करने, एक ऐतिहासिक प्रयास में भाग लेने और एक स्थायी विरासत छोड़ने का एक तरीका है। यह खुद से बड़े किसी चीज का हिस्सा बनने का अवसर है, एक पवित्र स्थान के पुनरुद्धार में योगदान करने का और उस सपने का मूक वास्तुकार बनने का जो आकार